रचना प्रकार - कवित्त
इस रचना प्रकार के लिए कोई रचना उपलब्ध नहीं है।
Revenue Forms

रसना कटौ जु अन रटौ, निरखि अन फुटौ नैन।

स्रवन फुटौ जो अन सुनौ, बिनु राधा-जसु बैन॥

सबसौ हित निष्काम मति, बृंदाबन बन विस्राम।

राधावल्लभ लाल कौ, हृदय ध्यान, मुख नाम॥

तनहिं राखु सतसंग में, मनहिं प्रेमरस भेव।

सुख चाहत 'हरिवंश हित', कृष्ण-कल्पतरु सेव॥

निकसि कुंज ठाढ़े भये, भुजा परस्पर अंस।

राधावल्लभ-मुख-कमल,निरखत 'हित हरिबंस'॥

रचनाकार
रचना प्रकार
प्रसंग
टैग्स
© 2021 Brijras.com, Inc. All rights reserved.